BJP अधिकृत प्रत्याशियों की हार, निर्दलीय जीतकर आए भाजपा के ही समीरा-उपेंद्र की हुई जीत, विधायक मरपच्ची ने दोनों को बताया कांग्रेसी

 गौरेला पेंड्रा मरवाही. जिला गठन के बाद पहली बार गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों काे हार का सामना करना पड़ा. अध्यक्ष पद के चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीतकर आई भाजपा के ही समीरा पैकरा और उपाध्यक्ष पद पर उपेंद्र बहादुर ने जीत हासिल की है. जीते प्रत्याशी भाजपा कार्यालय पहुंचे, जहां विधायक प्रणव मरपच्ची को माला पहनाने गए तो उन्होंने मना कर दिया. विधायक मरपच्ची ने समीरा पैकरा को कांग्रेसी बताते हुए उन्हें बधाई दी. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला पंचायत में सदस्यों की कुल 10 सीटें हैं. अध्यक्ष पद पर समीरा पैकरा चुनी गई. उन्होंने भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी राजेश नंदनी आर्मो को 6-4 के अंतर से हराया. समीरा पैकरा को 6 वोट और राजेश नंदनी आर्मो को 4 वोट मिले. दूसरीं तरफ जिला पंचायत के उपाध्यक्ष पद उपेंद्र बहादुर सिंह चुने गए. उन्होंने भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी श्याममणि राठौर को हराया. उपेंद्र बहादुर को 6 वोट और श्याममणि राठौर को 4 वोट मिले.

जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव जीतने के बाद BJP दफ्तर पहुंचे निर्दलीय प्रत्याशी.

बता दें कि नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष समीरा पैकरा भाजपा से अमित जोगी के खिलाफ मरवाही विधानसभा का चुनाव लड़ी थी, जिसमें अमित जोगी की जीत हुई थी. इस बार जिला पंचायत चुनाव में भाजपा में गुटबाजी साफ तौर पर दिखी, जहां पहले से ही घोषित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के अधिकृत प्रत्याशियों की हार उन्हीं के पार्टी के सदस्यों से मिली. चुनाव के बाद मरवाही विधायक प्रणव मरपच्ची ने भाजपा की समीरा पैकरा पर तंज कसते हुए उन्हें कांग्रेसी बताया और कांग्रेस को बधाई दी.

कुछ कहने से बच रहे संगठन के लोग

भाजपा विधायक मरपच्ची ने कहा, जिला पंचायत में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों की हार पर संगठन को संज्ञान लेना चाहिए कि आखिर भीतरघात कहां हुआ. वहीं दबी जुबान से पार्टी के ही लोग विधायक को हार का जिम्मेदार बता रहे हैं, क्योंकि विधायक बनने के बाद बीते दिन हुए मरवाही नगर पंचायत में कांग्रेस, मरवाही जनपद में कांग्रेस ने कब्जा किया. इसके बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है. इस मामले में संगठन के लोग कुछ कहने से बच रहे. 

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