स्मृति शेष: नही रहे घुरसेना के लाडले रज्जू महाराज, रविवार को होगा अंतिम संस्कार.

बिलासपुर. बेमेतरा जिले के पुराने ग्राम घुरसेना के लाडले,परिवार,समाज को जोड़कर रखने वाले और अपनी प्रतिष्ठा के आगे नतमस्तक राजेंद्र लाल तिवारी (रज्जू महाराज) ने शनिवार की दोपहर दुनिया को अलविदा कह दिया। नरम गरम माहौल में खुद को ढाल लेने का हुनर और हर परिस्थिति में परिवार की ताकत बन अड़े रह उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। अपनी आधी उम्र को पार कर करने के बाद स्वर्गीय तिवारी कठिन समय में भी नही झुके, पांच बेटियों की जिम्मेदारियां को निभाने के बाद परिवार के हर बच्चो को सदा गले से लगाए रखा।

जीवन परिचय.

बिलासपुर रायपुर मार्ग पर नारायणपुर के समीप टेमरी से पहुंच मार्ग और शहर से 45 किलो मीटर दूर पहले दुर्ग अब वर्तमान में बेमेतरा जिले में स्थित ग्राम घुरसेना की बस्ती में ब्राह्मण परिवारजनों की एक अलग पहचान है। घुरसेना में अन्य समाज के लोगों के बीच ब्राह्मणों को बड़ा मान सम्मान दिया जाता है। इन्ही के बीच जन्म 23 जुलाई सन 1928 को राजेन्द्र लाल तिवारी पत्नी स्वर्गीय सुंदर तिवारी (रज्जू महाराज) ने जन्म लिया।

प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा टेमरी फिर मुंगेली से हुई, जिंदगी की जद्दोजाहज और घर की जिम्मेदारी के कारण पढ़ाई से नाता टूटा, गांव में बची कूची जमीन जायदाद को छोटे भाई – बहू के नाम छोड़ जेब में चंद पैसे लेकर सन 1955 में बिलासपुर आए शुरुवाती दिनों में श्याम टाकीज में टिकिट बुकिंग की नौकरी की, जिसके 1 माह बाद कंबाइंड ट्रांसपोर्ट में लगे और सन 1965 तक सेवाएं दी। तत्कालीन सरकार ने उस वक्त राज्य परिवहन निगम का गठन किया जिसमें रज्जू महाराज की सीधी भर्ती हो गई जो सफर सन 1968 तक चला,1 साल बाद 16 मार्च सन 1969 को कृष्णा ट्रांसपोर्ट का दामन थामा और मार्च सन 1985 तक बस ड्राइवर की नौकरी कर जीवन का सफर चलाया।

इधर 13 अप्रैल सन 1985 से सन 1993 तक अशोक बस सर्विस में लगे रहे और 3 जनवरी सन 1993 को ट्रांसपोर्ट लाइन से विदा ले लिया।

नौकरी की उठापटक के बीच तेलीपारा अजीत हॉटल के सामने जिसे सोनी गली के नाम से आज भी जाना वहां अपने बूते पर खुद के सपनों का मकान बनाया सिर पर 5 बेटियों की जिम्मेदारी थी। जिसे बखूबी निभाया और सब का विवाह समाज के प्रतिष्ठित परिवारों में किया वर्तमान में उनकी 4 बेटियां बिलासपुर तो 1 रायपुर में निवास करती हैं। नौकरी के दौरान रज्जू महाराज देश के 28 राज्य का भ्रमण कर चुके और उम्र के इस पड़ाव में भी उनकी ऊर्जा परिवार के लोगो को शक्ति प्रदान करती रही। लेकिन कहते हैं न कि इस दुनियां में जो जातक जन्म लेगा उसकी मृत्यु भी होगी जो अटल सत्य है।

96 की उम्र में आने के बाद भी राजेंद्र लाल तिवारी ने हिम्मत नहीं हारी बीते कुछ समय से वह बीमार रहने के कारण अस्वस्थ रहने लगे थे। उनकी बेटियां बराबर देखरेख कर दिन का आधे से ज्यादा समय पिता के स्वास्थ सुधार के लिए समर्पित कर डट कर उनकी सेवा की।

और हो गए बाई इज्जत बरी.

रज्जू महाराज को अपने पेशे से बहुत लगाव था। नौकरी के दौरान देश के 28 प्रांत का दौरा किया। नाती,नातिन को वह बताया करते थे कि बस ड्राइवरी के बीच रोड़ में ऐसा कुछ हुआ की स्टेयरिंग थामे रहने के दौरान घटनाएं हुई और अलग अलग जगहों में सात लोग रोड़ एक्सीडेंट का शिकार हुए। घटना की गंभीरता को ध्यान मे रखते हुए उन्होंने हर बार सीधा बस की स्टेयरिंग को पुलिस थाने की ओर घुमा दिया, मुकदमे दर्ज हुए और लगता है इनकी इंसानित ऊपर वाले को भा गई और कोर्ट ने उन्हें सभी मामलों में बाई इज्जत बरी कर दिया।

जबरदस्त याददाश्त.

मांगो उसी से जो दे खुशी से न कहे किसी से, उनका पेटेंट डायलाग था। भले ही हमारे बीच रज्जू महाराज नहीं रहे लेकिन उनके जबरदस्त याददाश्त की तारीफ को इस युग भुला नहीं जा सकता। उनको करीब से जानने वाले बताते हैं कि रज्जू महाराज को अपनी नौकरी किसी की शादी ब्याह, परिवार और समाज का हर सुख दुख के काम का दिन, सन और तारीख बिल्कुल सटीक याद रहता था। बस बोलने की देरी और रज्जू महाराज का तपाक से जवाब भुला नहीं जा सकता। उनकी एक आदत बेटियों, नाती और नातिन को भूले न भुलाएगी जब कोई भी तीज त्यौहार में शगुन देने की रस्म से रज्जू महाराज चुके हो।

अंत समय में त्यागा अन्न जल.

चाय के साथ खाने के बहुत शौकीन फिर तंबाखू के अलावा रज्जू महाराज ने अपने जीवन में ऐसा कोई काम नही किया जिससे किसी को कोई परेशानी हो, भोर में उठाना फिर वॉक और भगवान के श्री चरणों में अर्पित करने फूल लाना और पूजा पाठ से अपनी दिनचर्या शुरू करने वाले वह प्रभु श्री राम के भक्त हनुमान जी के अनंत उपासक थे। हर तरफ के मीठा उनकी पहली पसंद थी और ट्रांसपोर्ट लाइन में होने के बावजूद किसी तरह की बुरी लत उन्होंने नही लगाई, शाकाहार को आपकी जीवन शैली में सदा शुमार किया और जमकर जीवन को शान से जिया, बीते कुछ दिनों से वह अस्वस्थ हो गए थे। दो माह पूर्व अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनका शरीर अब साथ छोड़ता चला जा रहा था। बेटियों ने सेवा में कोई कमी नहीं की फिर भी रज्जू महाराज ने पूरी तरह से अन्न जल को त्याग दिया और अंततः शनिवार की दोपहर शरीर को त्याग कर ब्रह्म लोक गमन कर लिया।

‘OMG NEWS NETWORK’ की ओर से स्वर्गीय राजेंद्र लाल तिवारी को सादर प्रणाम भगवान उन्हें अपने श्री चरणों में जगह दे, विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित।

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