जशपुर के फोटोग्राफर आकाश सोनी ने कहा “फोटोग्राफी की कला ईश्वर प्रदत्त है ” 

जशपुर .  हर एक फोटोग्राफर के लिए बहुत खास दिन हैं  विश्वभर में फोटोग्राफी डे मनाया जाता हैं, इस शुभ दिन के अवसर में मैं अपनी बात आप लोगो से साझा करना चाहता हूं,हर इंसान में भगवान कोई न कोई कला देता हैं और वो इस लिए ताकि आप उस कला से अपनी और जन का कल्याण कर सकें एक कलाकार की दुनिया बहुत बड़ी होती हैं इतनी बड़ी की दुनिया छोटी लगती हैं फोटोग्राफर होना अपने आप मे एक ऐसा कला है जो आपको भीड़ से अलग करती हैं और मुझे तो ये लगता हैं कि,

ईश्वर का आशीर्वाद हैं क्योंकि की कैमरा खरीदना आम बात हो सकता हैं लेकिन कैमरा का सही उपयोग सिर्फ वही कर पाते हैं जिनके सर के ऊपर सरस्वती का हाथ हो, और ये मैं इस लिए भी कह रहा हूं की प्रकृति और फोटोग्राफर  का संबंध अटूट हैं प्रकृति की रचना ईश्वर किये और उस रचना को खूबसूरत तरीके से जनता के बीच रखने का काम फोटोग्राफर करता हैं क्योंकि एक नया फोटोग्राफर की शिक्षा के लिए प्रकृति सबसे प्रथम स्थान रखती हैं क्योंकि हर फ़ोटो लेने वाला व्यक्ति सूर्य चांद फल फूल पहाड़ झरने में ही प्रैक्टिस कर फोटो फ्रेमइंग सीखता हैं कैसे एक फोटो में चीज़ों सही रूप से दरसा सकतें हैं यही से शरुवात होती है फोटोग्राफी की ,बहुत से लोग आज इसे शौख के रूप देखते देखते आय का साधन बना चुके हैं क्योंकि फोटोग्राफी को लोग आज तक सिर्फ मनोरंजन का साधन मानते आए थे लेकिन आज के समय मे फोटोग्राफी एक ऐसी स्थान बना चुकी हैं कि आप एक बेहतरीन जीवन जी सकते हैं, और मैं इस लिए ये बात कह रहा की मैं स्वंय इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हूँ।

मैं फोटोग्राफी अपनी हॉबी को आत्मसात करने के लिए चुना था, और इस हॉबी को पूरा करते करते कब मैं इस प्रोफेसन में आगया मुझे पता ही नही चला आज मैं हॉबी से ही अपने घर का भरण पोषण कर रहा हूँ और एक अच्छा जीवन जीने के साथ सारी सौख पूरा कर रहा हूं और मुझे मेरे फील्ड में गर्व महसूस होता हैं जब किसी व्यक्ति द्वारा बोला जाता हैं आकश हमारे यहां एक कार्यक्रम है क्या आप फ़ोटो ले सकते हैं तो कार्यक्रम के भीड़ में मैं अलग हु इस लिए मुझे वहां  सह सम्मान स्थान देने के लिए बुलाया जाता ताकि आप वहां अपनी कला को प्रस्तुत कर लोगो की यादों को फ़ोटो के माध्यम से संजो सकें,

वैसे तो मैंने भारत का लगभग हिस्सा घुमा दिल्ली,मुम्बई, गोआ,नेपाल लद्दाख आदि जगह मैंने फोटोग्राफी करने भी गया एक प्रोफेशनल बनकर तो कहि एक यात्री बनकर लेकिन मैंने जो जशपुर से पाया हैं वो कही नहीं मिला जशपुर की प्रकृति ने मुझे अपनी कला को बारीकी से मांझने में बहुत मदद की वो इस लिए की यहां के मौसम की खुमारी जो ये मैं फ़ोटो के माध्यम से आप लोगो को बताऊंगा, जशपुर में कलचलर कार्यक्रम जैसे दसहरा, सहरुल, होली दीवाली या अन्य जो भी यहां का रिवाज है मुझे अपने कला से हमेसा जोड़ कर रखा हैं, और आज जशपुर की बदौलत ही मुझे पहचान मिल सकी हैं।

क्योंकि जब मैं जशपुर की फोटोज जब सोसल साइट पर शेयर करता हु तो बहुत ऐसे लोग है जो अप्रत्यक्ष रूप से फ़ोटो के माध्यम से जुड़े हैं वो जशपुर से जुड़े और अपनी यादों को ताजा करते यहां के नेचर लोगो विदेशी जगहों जैसी अनुभूति करता हैं यहां के झरने किसी मूवी की सेट जैसी लगती हैं यहां के पहाड़ो का स्ट्रक्चर किसी पेंटिंग के जैसा हैं मैं शासन से अनुरोध करता हूँ इसे संघरक्षित करने की कृपा करें एवं पर्यटक स्थलों की सवाजत हेतु कार्य किया जाना चाहिए मैं दावे के साथ कह सकता हूं जशपुर भारत के मानचित्र में एक अलग नाम दर्ज कराएगा….. 

“जिंदगी में फ़ोटो लेना भी जरूरी हैं साहेब,

क्योकि आईना गुज़रा हुआ कल नहीं दिखाती हैं

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