शहर के युवा छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए खुर्सीपार श्रीराम चौक के पास डिजिटल लाइब्रेरी बनाई गई है. इसे भिलाई ही नहीं बल्कि जिले का सबसे हाईटेक व सर्व सुविधायुक्त डिजिटल लाइब्रेरी कहा जाता है, लेकिन अब यहां इंटरनेट जैसी जरूरी सुविधा तक नहीं है. बिना वाई-फाई सुविधा के छात्र ई-बुक नहीं पढ़ पा रहे हैं. ऑनलाइन क्लास भी अटेंड नहीं कर पा रहे हैं.

ताज्जुब की बात यह है कि जिस नगर निगम भिलाई ने इस डिजिटल लाइब्रेरी को बनाया है, उसकी सालाना बजट 700 करोड़ से अधिक है. इसकी सालाना आय भी करीब 500 करोड़ रुपए है. भिलाई निगम के जिम्मेदार अफसर यहां प्रति माह 500 रुपए के इंटरनेट की सुविधा नहीं दे पा रहे हैं.

बता दें, लाइब्रेरी को जब बनाया गया था, तब यहां वाई-फाई लगाया गया था, लेकिन निगम ने उसका बिल समय पर जमा नहीं किया. अभी भी 2500 रुपए बिल लंबित है. इसलिए इंटरनेट सुविधा देने वाली संस्थान ने कनेक्शन काट दिया है. छात्रों ने बताया कि जनवरी 2025 से कनेक्शन कटा हुआ है. इंटरनेट नहीं होने के बाद भी यहां रोज 150 से 200 छात्र पढ़ने आते हैं. छात्रों ने मामले की सूचना निगम आयुक्त, जोन आयुक्त से लेकर महापौर और वार्ड पार्षद को भी है, लेकिन किसी ने छात्रों के हित में पहल नहीं की है.
हैरानी की बात ये है कि खुर्सीपार श्रीराम चौक, स्वामी आत्मानंद स्कूल के बाजू स्थित डिजिटल लाइब्रेरी में युवक बाहर बैठे रहते है, कुछ अंदर कंप्यूटर लैब में कंप्यूटर के सामने बैठकर पढ़ाई करते हैं. छात्रों में कोई रूमाल से माथे का पसीना पोंछता हुआ और कोई कॉपी को हाथ पंखा की तरह उपयोग करते हुए देखे जा सकते है. ऊपर पंखा, लाइट, एसी लगा है, पर सब बंद. पूछने पर छात्र कहते है कि यहां बिजली गुल होने की बड़ी समस्या है. सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक तीन बार लाइट गुल होती है. कई दिन तो दिन-दिन भर बिजली नहीं रहती है. यह रोज की समस्या है. इससे काफी परेशानी होती है.
17 कंप्यूटर में से 5 ही सही है
लाइब्रेरी में अंदर, बाहर और ऊपर मंजिल में करीब 70 लाइटें लगी है. इसमें से करीब 25 लाइट खराब है. रात होते ही लाइब्रेरी के बाहर अंधेरा छा जाता है. लाइब्रेरी सुबह 9 से रात 9 बजे तक खुला रहता है. ऐसे में छात्राओं को बड़ी असुविधा होती है. 17 कंप्यूटर में से 5 ही सही है. बाकी में किसी का माउस नहीं, किसी में और कोई परेशानी है. सिर्फ इतना ही नहीं यहां छात्रों के लिए पीने और वॉश रूम जाने तक के लिए पानी नहीं है.
संचालन के लिए स्थाई व्यवस्था नहीं
खुर्सीपार इलाके में स्थित इस लाइब्रेरी को बनाने में 30 लाख रुपए खर्च हुए हैं. इसका लोकार्पण देवेंद्र यादव ने 4 अक्टूबर 2023 को किया था. तब से अब तक इसके देख-रेख और संचालन के लिए कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है. यही कारण है कि साल-डेढ़ साल से डिजिटल लाइब्रेरी बिना इंटरनेट और वाई-फाई सुविधा के चल रही थी. क्षेत्र के युवा नेता जसप्रीत सिंह ने कई बार इसकी शिकायत की और सुविधा की मांग की.
किताब नहीं, जो है वह भी पुरानी
छात्रों के मुताबिक शुरुआत में लाइब्रेरी में करीब 500 किताबें थी. उसके बाद से अबतक एक नई किताब नहीं दी गई. जो किताबें हैं, वह 2018, 2019 व 2020 की है. करंट अफेयर्स, जीके, नीट, जेईई, रेल्वे, एसएससी, बीएसपी, एनएमडीसी, बोकारो स्टील प्लांट जैसे उद्योग की परीक्षा की तैयारी के लिए टेक्नीकल किताबें नहीं है. यही नहीं छात्रों ने ये भी कहा कि पहले यहां सभी समाचार पत्र आते थे, जिससे वह करंट अफेयर्स और जीके की तैयारी करते थे, लेकिन अब पेपर भी बंद कर दिए गए हैं. किताबों को रखने तक की सुविधा नहीं है. जमीन पर पेपर बिछाकर किताबें रखी गई हैं. इसकी वजह से किताबें भी खराब हो रही हैं.



