‘किलकारी पालना घर’, झूलने टूट गए, खिलौने कबाड़ में हुए तब्दील, बच्चों के भोजन और नाश्ते का भी नहीं प्रबंध

नारायणपुर। झूले पूरी तरह से टूट चुके हैं. खेलने के लिए रखे गए खिलौने कबाड़ में तब्दील हो गए हैं. यही नहीं छोटे बच्चों के लिए न तो भोजन की कोई उचित व्यवस्था है, और न ही नाश्ते का प्रबंध है. यह हाल है कलेक्टर कार्यालय परिसर में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा स्थापित किलकारी पालना घर का. यह पालना घर उन कामकाजी और दूर-दराज से आने वाली ग्रामीण महिलाओं के लिए बनाया गया था, जो अपने छोटे बच्चों के साथ सरकारी कार्यों के लिए कलेक्टर कार्यालय आती हैं. लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि यह केंद्र देख-रेख और रखरखाव के अभाव में बदहाली का शिकार हो चुका है.  नारायणपुर जिला मुख्यालय में प्रशासनिक कामों के लिए लंबी दूरी तय कर कलेक्टर कार्यालय आने वाले महिलाएं की सुविधा के लिए पालना घर स्थापित किया था, लेकिन अब यह केवल नाम के लिए रह गया है. महिलाएं बताती हैं कि पालना घर में अक्सर कर्मचारी मौजूद नहीं रहते हैं. ऐसे में बच्चों को छोड़ना उनके लिए मुमकिन नहीं होता है. इसके साथ सवाल उठता है कि यदि कलेक्टर कार्यालय के भीतर स्थित केंद्र का यह हाल है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित आंगनबाड़ियों की स्थिति क्या होगी.

इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी लुपेंद्र महिनाग से माना कि पालना घर की हालत अच्छी नहीं है. उन्होंने बताया कि यह पालना घर दूर-दराज से आई महिलाओं और कामकाजी महिलाओं के लिए बनाया गया था. यह एक छोटे आंगनबाड़ी केंद्र की तरह काम करता है. यहां जो खिलौने मौजूद हैं, वे काफी पुराने हैं और टूट चुके हैं. हमें फंड प्राप्त हो चुका है, और 1 अप्रैल से नए खिलौने लगाए जाएंगे. साथ ही, अन्य जरूरी व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जाएंगी.

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