• नवीन जिंदल की क्रूरता किसी से छुपी नहीं..
एक भी गांव बचने नहीं देगा जिंदल स्टील पावर ..
• महाजेंको के बाद जिंदल का तांडव.
दीपक शर्मा.
रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में एक बार फिर विकास के नाम पर विनाश की पटकथा लिखी जा रही है.
महाजेंको की जंगल कटाई पर अभी ग्रामीणों का गुस्सा थमा नहीं कि जिंदल पावर लिमिटेड जेपीएल ने गारे पेलमा सेक्टर 1 कोल ब्लॉक के नाम पर 3020 हेक्टेयर भूमि हथियाने की तैयारी कर ली है.
इसमें से 120 हेक्टेयर भूमि घना जंगल है यानी लगभग एक पूरा जंगल सिर्फ मुनाफे के लिए मिटा दिया जाएगा.
ये पेड़ सिर्फ लकड़ी नहीं हैं, ये जीते-जागते देवता हैं..
जिन पेड़ों को अब काटा जाएगा, वे वो हैं जिनकी छांव में पीढ़ियाँ पली हैं.
साल, साजा, तेंदू, हर्रा, बीजा जैसे पेड़, जिनसे न सिर्फ वनवासी, बल्कि पूरा पारिस्थितिक तंत्र जीवित है.
इन पेड़ों की जगह सीमेंट के खंभे खड़े किए जाएंगे..
क्या ये जंगल केवल आंकड़ों की वस्तु बनकर रह जाएंगे..
13 गांवों पर संकट की छाया
जेपीएल का यह खनन प्रोजेक्ट बुडिया, रायपारा, बागबाड़ी, आमगांव, झिंकाबहाल, खुरुसलेंगा, धौराभाठा, बिजना, लिबरा, महलोई, तिलाईपारा, समकेरा और झरना गांवों को सीधा प्रभावित कर रहा है.
इन गांवों के निवासियों को उनकी ही जमीन से बेदखल किया जा रहा है.
बिना ग्रामसभा की अनुमति, बिना सही मुआवजा, और बिना भविष्य की योजना..
यह सिर्फ ज़मीन का अधिग्रहण नहीं यह पहचान, संस्कृति और अस्तित्व का अपहरण है.
50 साल की लीज, आधी सदी की तबाही..
जेपीएल को यह खदान 50 वर्षों के लिए दी जा रही है..
हर साल 1.5 करोड़ टन कोयले का लक्ष्य, यानी 50 सालों तक लगातार:
पेड़ों की बलि
ज़हर उगलते ट्रक
बस्तियों में धूल और बीमारी
और बच्चों की फेफड़ों में कालिख
नियमों की खुली हत्या और प्रशासन खामोश....!!!
पेशा कानून की खुली अवहेलना
ग्रामसभाओं की अनुमति नहीं
जनसुनवाई की प्रक्रिया संदेहास्पद
वन्यजीव, जलस्रोत, आदिवासी सब कुछ दांव पर....
कौन देगा जवाब..? कौन रोकेगा ये अपराध..??
अब गांव नहीं डरेगा : तमनार बोलेगा
ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब देने लगा है.
हर गांव में विरोध की चिंगारी धधक रही है.
बुजुर्गों की आंखों में आँसू हैं बच्चों की आवाज़ में गुस्सा
जंगल नहीं बचेगा तो जीवन कैसे बचेगा...??
कोयले से हमारा भविष्य काला मत कीजिए...!!!
ये लड़ाई अब कोयले की नहीं ,जीवन की है...!!!
यदि आज हमने आवाज़ नहीं उठाई,
तो कल सिर्फ राख और स्मृतियां बचेंगी...
तमनार का हर गांव एक सवाल बनकर खड़ा है ...!!!
हमने क्या बिगाड़ा था, जो हमारी जड़ें ही उखाड़ दी जा रही हैं...



