‘OMG’ हे खाद्य विभाग गरीबों के कार्ड सरेडंर कराने रइसों की चौखट नाप रहा.

•अमीरों के राशन कार्ड चुपचाप गरीबों के कार्ड में बदल करोड़ों का राशन घोटाला.

बिलासपुर. अमीरों के राशन कार्ड को गरीबी रेखा के कार्ड बदल कर केन्द्र और राज्य सरकार के अनाज गोदाम दो साल से खाली करने के मामले में अब जिले का खाद्य विभाग लीपा पोती करके अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इस कड़ी में खाद्य निरीक्षकों से कार्ड होल्डर के बयान लेकर मामले में कागजी खानापूर्ति करके नस्ती करने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि करोड़ों का राशन घोटाला जिले में फूड इंस्पेक्टर की आईडी से ऑन लाइन हुआ है।

जोरदार असर.

कड़ी दर कड़ी ‘OMG NEWS NETWORKका इस खुलासे के बाद खाद्य विभाग तो साय पटाए हो गया है तो वही हमारे खुलासे को लीडिंग अखबार में भी तबज्जो मिलने लगा और बिना कुछ इधर उधर किए अखबार ने ‘ OMG NEWS’ की खबर की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

किसी अपराधिक और उच्चस्तरीय जांच से बचने के लिए विभागीय जांच के नाम पर लीपापोती हो रही है।
खाद्य विभाग ने वर्ष 2022 में अमीरों के एपीएल कार्ड के नवीनीकरण के नाम पर बीपीएल कर दिया और कार्ड होल्डर को पता ही नहीं चला कि वह कब असंगठित श्रेणी का मजदूर बन गया और उसके नाम पर बीपीएल कार्ड बनकर राशन उठने लगा है। एक दलाल ने चार पांच राशन दुकाने किराए पर लेकर यह सारा गोलमाल खाद्य निरीक्षकों से सांठगांठ करके किया। लेकिन जैसे ही दुकान बदली गई तो सारा मामला खुलकर सामने आ गया।

दलाल करा रहा फर्जी गरीबों के बयान.

जाजोदिया, गुप्ता, जैन, चटर्जी जैसे सम्पन्न लोग जो विनोबा नगर में रहते हैं उनके नाम से बीपीएल का राशन पार किया गया। जय माता दी खाद्य सुरक्षा एवं पोषण उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति मार्यादित विनोबानगर दुकान आईडी 401001121(संस्कृति महिला समूह डिपुपारा) के जरिए यह गोलमाल उजागर होने के बाद कथित राशन दलाल और खाद्य निरीक्षक ऐसे संदिग्ध कार्ड होल्डर के पास जाकर उनसे साधारण बयान दर्ज करा रहे हैं जबकि कार्डों की हेराफेरी आनलाइन आईडी से हुई है।

होनी थी एफआईआर.

‘OMG NEWS NETWORK’ ने जब यह मामला राशन कार्ड नम्बरों के साथ उजागर किया तो खाद्य विभाग में अफरातफरी मच गयी और करोड़ों के राशन घोटाले पर परदा डालने की कागजी कार्रवाई की जा रही है। जबकि आनलाइन कूटरचना कर अपराध किए जाने को लेकर खाद्य विभाग को एफआईआर दर्ज कराई जानी थी जिसमें धारा 467, 468,471,120बी-1 के तहत दोषियों को सजा दिलाई जानी चाहिए।

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