सरस मेले में स्थानीय उत्पादाें को प्रोत्साहन, आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत हो रहीं महिलाएं

रायपुर. स्थानीय बाजार को सम्मान देकर ही स्थानीय लोगों के जीवन में खुशहाली पहुंचाई जा सकती है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में स्थानीय उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने और महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सरस मेला का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला राज्य की महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सरस मेला एक ऐसा मंच है, जहां स्व-सहायता समूहों (SHGs) की महिलाएं अपने हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद और अन्य स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री करती है। यह मेला न केवल उत्पादों के विपणन के लिए एक मंच प्रदान करता है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में भी सहायता करता है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का दृष्टिकोण

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य में महिला सशक्तिकरण और स्थानीय उत्पादों के प्रोत्साहन के लिए कई पहल की है। उनके नेतृत्व में सरस मेला का आयोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा है कि “ऐसे मेलों से व्यापार को लाभ के साथ-साथ उसकी पहचान भी बढ़ती है, जिससे राज्य की माताओं और बहनों का विकास में बड़ा योगदान रहेगा।”

सरस मेला का आयोजन और उसकी विशेषताएं

रायपुर के साइंस कॉलेज ग्राउंड में 20 फरवरी से 28 फरवरी 2024 तक क्षेत्रीय सरस मेला का आयोजन किया गया था। इस मेले में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से स्व-सहायता समूह की कुल 133 महिलाएं शामिल हुई थीं। इसके अलावा, असम, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, झारखंड, और बिहार से भी स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अपने उत्पादों के स्टॉल लगाए थे। कुल मिलाकर, मेले में 212 स्टॉल्स लगाए गए थे, जहां महिलाएं अपने उत्पाद बेच रही थीं।

महिला सशक्तिकरण में सरस मेला की भूमिका

सरस मेला महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, जहां वे अपने उत्पादों को प्रदर्शित और विक्रय कर सकती हैं। यह मेला महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है। रायगढ़ में आयोजित दस दिवसीय सरस मेले में महिला समूहों ने लगभग 1 करोड़ रुपये के उत्पाद बेचे, जो उनकी आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में उप मुख्यमंत्री और बिलासपुर जिले के प्रभारी मंत्री अरुण साव ने बिलासपुर के मुंगेली नाका मैदान में संभागीय सरस मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विधायकगण धरमलाल कौशिक, धरमजीत सिंह, दिलीप लहरिया, सुशांत शुक्ला, महापौर श्रीमती पूजा विधानी, जिला पंचायत के अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी, कलेक्टर अवनीश शरण, एसपी रजनेश सिंह, डीफओ सत्यदेव शर्मा, नगर निगम के कमिश्नर अमित कुमार और जिला पंचायत के सीईओ संदीप अग्रवाल भी उनके साथ थे।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने लगाया गया यह सरस मेला स्थानीय उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने और महिलाओं के साथ ही ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने का माध्यम साबित हो रहा है. इससे स्वसहायता समूह की दीदियां आज आत्मनिर्भर हो रही हैं और अपने परिवार का आर्थिक संबल बन रही हैं। संभाग की सभी जिलों से दीदियां यहां अपनी कला का प्रदर्शन करने पहुंची थी. इसके अलावा भी अन्य महिलाओं को भी यहां से प्रेरणा मिली। मेले में बिलासपुर संभाग की 55 स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने 52 स्टॉलों में अपने उत्पादों की बिक्री के लिए प्रदर्शनी सजाई है. यह मेला 12 मार्च तक चलने वाला है.

       उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने मुख्य अतिथि की आसंदी से सरस मेले को संबोधित करते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। महतारी वंदन योजना, उज्जवला योजना, लखपति दीदी जैसी बहुत सी योजनाएं महिलाओं की बेहतरी के लिए चलाई जा रही है। इन योजनाओं के चलते महिलाएं आज मजबूत हुई हैं। वे परिवार और समाज के विकास में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। आज गांव-गांव में समूह की दीदियां लखपति बन गई हैं। यहां सरस मेले में वे बिजौरी से लेकर गुलाल और अपने तमाम उत्पादों की बिक्री के लिए आई है। उनका आत्मविश्वास देखते बनता है। जब तक महिलाएं सशक्त और आत्मनिर्भर नहीं बनेंगी, तब तक हमारा समाज भी सशक्त नहीं बनेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा है कि सभी दीदियां लखपति दीदी बनें, आत्मनिर्भर बनें, विकसित और समृद्व भारत बनाने में अपना योगदान दें।”

स्थानीय उत्पादों का प्रोत्साहन

सरस मेला स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेले में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन जैसे ठेठरी, मुरकु, हिरवा रोटी, डुसका, फरहा, चिला, आईसा, पीठा, गुलगुला भजीया, देहाती बड़ा, चौसेला, ठेकुवा आदि प्रमुख आकर्षण थे। इसके अलावा, रायगढ़ के एकताल और बस्तर के धातु शिल्प कला को भी लोगों ने सराहा। बस्तर के लाल चावल, लोकटी, माच्छी चावल, बस्ता भोग चावल, काला चावल, सुरजपुर और सरगुजा का जीराफुल चावल, बीजापुर का जिंक राइस आदि जैविक उत्पादों की भी मेले में विशेष मांग रही।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और मनोरंजन

सरस मेला केवल व्यापार का मंच नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मनोरंजन का भी केंद्र है। मेले में महिलाओं के लिए रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ बॉक्स क्रिकेट, बॉक्स बैडमिंटन, रस्साकस्सी, कुर्सी दौड़, मटका फोड़, निशानेबाजी जैसे खेलों का आयोजन किया गया। रायगढ़ जिले के स्कूली बच्चों और स्वशायी संस्थाओं, राज्य और अन्य राज्यों के स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिन्हें दर्शकों ने काफी सराहा।

सरकारी योजनाएं और समर्थन

छत्तीसगढ़ सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य में महतारी वंदन योजना की शुरुआत की गई है, जिसके तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ को एक मॉडल स्टेट बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। सरस मेला जैसी पहलें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और राज्य के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने में सहायक हैं। सरस मेला छत्तीसगढ़ में महिलाओं के सशक्तिकरण और स्थानीय उत्पादों के प्रोत्साहन का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में इस प्रकार के आयोजनों से न केवल महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिल रही है, बल्कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा मिल रहा है। भविष्य में ऐसे और भी मेलों का आयोजन महिलाओं के सशक्तिकरण और राज्य के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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