एचएमपीवी वायरस का बढ़ा दायरा, कर्नाटक के बाद अब इस राज्य में मिला केस, एक दिन में मिले इतने मरीज, लक्षण-सावधानी के साथ जानें भारत के लिए कितना खतरनाक है ये

चीन (China) में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) वायरस के जारी कहर के बीच भारत (India) के लिए चिंता वाली खबर निकलकर सामने आई है। भारत के गुजरात में भी HMPV वायरस से पीड़ित बच्चा मिला है। इसी के साथ ही एक ही दिन में (6 जनवरी) देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के तीन मामलों की पुष्टि हो चुकी है। दो केस कर्नाटक के बेंगलुरु में और एक गुजरात के अहमदाबाद में मिला है। बेंगलुरु में तीन महीने और आठ महीने के शिशु में और अहमदाबाद में दो महीने के शिशु में एचएमपीवी वायरस की पुष्टि हुई है। वहीं अब यह वायरस चीन से निकलकर कई देशों में फैल चुका है। भारत (India) के अलावा यह वायरस हांगकांग (Hong Kong) और मलेशिया (Malaysia) में भी इस वायरस से पीड़ित मरीज मिले हैं। इससे दुनिया में एक बार भी खौफ व्याप्त हो गया है।

गुजरात के अहमदाबाद के चांदखेडा इलाके में 2 महीने के बच्चे में इस वायरस का संक्रमण पाया गया है। नवजात का यहां के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। यह परिवार राजस्थान के डुंगरपुर से बच्चे का इलाज कराने के लिए अहमदाबाद पहुंचा था। बच्चे की स्थिति अभी स्टेबल है। बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में एक 8 महीने के लड़के और 3 महीने की लड़की में सांस लेने में दिक्कत पैदा करने वाले वायरस एचएमपीवी का पता चला है। अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों मरीजों या उनके परिजनों की कोई इंटरनेशनल ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी।

भारत सरकार की लोगों ने नहीं घबराने की अपील

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के देश में बढ़ते मामलों के बीच भारत सरकार ने लोगों से नहीं घबराने की अपील की है। भारत सरकार ने कहा कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। यह विश्व स्तर पर और देश के भीतर पहले से ही मौजूद है। सर्दियों के मौसम में यह वायरस लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। लिहाजा इससे पैनिक होने की जरूरत नहीं है। बच्चों को दिक्कत होने पर नजदीकी अस्पताल लेकर पहुंचे। इसमें कोई लापरवाही नहीं बरते। मैक्स हेल्थकेयर के मुताबिक, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, शिशु, वृद्ध और विशेषकर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, अस्थमा या सीओपीडी जैसी श्वसन समस्याओं वाले व्यक्तियों को इसका अधिक जोखिम है। प्रेग्नेंसी के दौरान एचएमपीवी के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जो मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है।

एचएमपीवी वायरस के लक्षण

  • इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चों-बुजुर्गों हो सकते हैं।
  • इसमें  सांस और फेफड़ों की नली में इन्फेक्शन हो जाता है, जिस वजह से  खांसी होती है और सांस लेने में दिक्कत होती है।
  • इसके अलावा गले में खराश, सिरदर्द,  खांसी, बुखार, ठंड लगना और थकान भी रहती है।

इन बातों का रखा जाए ध्यान

  • अच्छा हो किसी भी संक्रमित शख्स से दूर रहा जाए या मास्क का उपयोग किया जाए।
  • अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोएं. छींकते या खांसते समय अपना मुंह ढकें।
  •  दूसरों से दूर कोहनी की आड़ लेकर खांसें और सबसे अहम बात छींकने या खांसने के बाद अपने हाथों को सैनिटाइज जरूर करें।

देश से बाहर नहीं गया परिवार तो कैसे HMPV संक्रमित हुई 8 महीने की बच्ची? 

HMPV वायरस से संक्रमित हुए तीनों बच्चों की देश से बाहर की ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। ऐसे में लोगों के बीट चिंता इस बात की है कि बिना देश के बाहर गए बच्चे HMPV वायरस से संक्रमित हुए। तो इस बात की जानकारी देते हुए  कर्नाटक के प्रिंसिपल सेकेट्री और हेल्थ कमिश्नर हर्ष गुप्ता (आईएएस) ने कहा कि, ‘बच्चे में HMPV का पाया जाना कोई असामान्य बात नहीं है। पहले भी हमने कई मरीजों में HMPV से जुड़े मामले देखे हैं। इसमें चिंताजनक कुछ भी नहीं है, इसलिए किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है। अगर HMPV का कोई नया स्ट्रेन है तो आईसीएमआर को हमें निर्देश या अपडेट गाइडलाइन भेजनी चाहिए। अभी तक इसके लिए कोई खास प्रोटोकॉल जारी नहीं किया गया हैष बच्चे की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। अभी तक इस वायरस को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है।

जानिए ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) क्या है?

US सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) 2001 में खोजा गया था। यह HMPV न्यूमोविरिडे फैमिली से संबंधित है जो एक रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) की ही फैमिली है। यह आमतौर पर ऊपरी और निचले श्वसन संक्रमण का कारण बनता है जो सामान्य सर्दी या फ्लू के समान लक्षण पैदा करता है। हालांकि एक्सपर्ट का कहना ये भी है कि कुछ सीरोलॉजिकल सबूत बताते हैं कि यह वायरस कम से कम 1958 से दुनिया में फैला हुआ है। CDC के अनुसार, यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है जिसमें छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इसके संक्रमण के सबसे अधिक खतरे में होते हैं। 

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