रूढ़िवादी धारणाओं को तोड़ने के लिए शेमारू एंटरटेनमेंट ने महिला दिवस पर ‘हर रोल इस हर रोल’ अभियान शुरू किया

मुंबई. महिलाओं की क्षमताओं को सीमित करने वाली रूढ़िवादी धारणाओं को तोड़ने के लिए शेमारू एंटरटेनमेंट ने महिला दिवस पर ‘हर रोल इस हर रोल’ (HarRoleIsHerRole) अभियान शुरू किया है. इस पहल को शेमारू उमंग की अभिनेत्रियां राधिका मुथुकुमार, अलेया घोष और दीक्षा धामी ने अपना समर्थन दिया है. इस अभियान का उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है.  आज भी कई स्कूलों में बच्चों को दिखाए जाने वाले ऑक्युपेशन चार्ट में पुरुषों को लीडरशिप भूमिकाओं में और महिलाओं को केवल शिक्षिका या नर्स जैसी पारंपरिक नौकरियों तक सीमित दिखाया जाता है. शेमारू एंटरटेनमेंट ने इस सोच को बदलने के लिए स्कूलों और एनजीओ में नए चार्ट पेश किए हैं, जिनमें पुरुषों और महिलाओं को हर पेशे में समान रूप से दर्शाया गया है. (Women’s Day 2025)

अभिनेत्रियों का समर्थन: महिलाओं को हर भूमिका में पहचान देने की जरूरत

‘मैं दिल तुम धड़कन’ की वृंदा का किरदार निभा रहीं राधिका मुथुकुमार ने कहा- “हम महिलाएँ मल्टीटास्कर होती हैं और करियर व परिवार के बीच संतुलन बनाती हैं. लेकिन समाज को इसे स्वीकार करने की जरूरत है. लड़कियों को डॉक्टर, इंजीनियर और सीईओ बनने का हक है, न कि केवल देखभाल करने वाली भूमिकाओं तक सीमित रहने का. HarRoleIsHerRole बदलाव की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है.”

‘जमुनीया’ की मुख्य अभिनेत्री अलेया घोष ने कहा-

“मेरे किरदार जमुनीया की तरह, असल जिंदगी में भी महिलाओं को कम आंका जाता है, लेकिन वे अपनी काबिलियत से खुद को साबित करती हैं. इस अभियान का उद्देश्य पूर्वाग्रहों को खत्म करना और लड़कियों को यह विश्वास दिलाना है कि हर क्षेत्र में उनके लिए जगह है.”

‘बड़ी हवेली की छोटी ठकुराइन’ में चैना की भूमिका निभा रहीं दीक्षा धामी ने बताया-

“मुझे मेरी माँ से प्रेरणा मिली, जो एक प्रतिभाशाली गायिका थीं, लेकिन कई लड़कियों को अभी भी ऐसे रोल मॉडल्स नहीं मिलते. हमें अगली पीढ़ी के लिए पेशों का प्रतिनिधित्व बदलना होगा ताकि लड़कियाँ अपनी महत्वाकांक्षाओं को खुलकर जी सकें.”

महिला दिवस पर समाज में सकारात्मक बदलाव की अपील

शेमारू एंटरटेनमेंट का यह अभियान सिर्फ महिलाओं का सम्मान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में जागरूक करने का प्रयास भी है. इस बदलाव की शुरुआत शिक्षा और प्रतिनिधित्व से की जानी चाहिए, ताकि हर लड़की अपने सपनों को साकार करने का आत्मविश्वास पा सके.

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