रायपुर। अणुव्रत समिति रायपुर और छत्तीसगढ़ के तीन प्रमुख विश्वविद्यालय पं. रविशंकर प्रसाद शुक्ल विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय व कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भगवत गीता एवं उत्तराध्ययन सूत्र आधारित आचार्य महाश्रमण “साहित्य समीक्षात्मक संगोष्ठी” का आयोजन रविवार को पटवा भवन, टैगोर नगर में आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर और मुनिश्री नरेश कुमार के सान्निध्य में किया गया है. जिसमें गरिमामय उपस्थिति के साथ संगोष्ठीकार भूमिका निर्वहन किया.
पं. रविशंकर प्रसाद शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के भाषा विभागाध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र त्रिपाठी क्रमशः विजयी बनो, संपन्न बनो व सुखी बनो आचार्य महाश्रमण कृतियों पर अपनी समीक्षा की सुंदर प्रस्तुति दी.
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेन्दु जी सक्सेना व विशिष्ट अतिथि विद्या भारती संस्थान के विवेक जी सक्सेना थे.
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन एवं भाषा विभागाध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी ने सुखी बनो कृति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण की सुखी बनो कृति जो भगवत गीता एवं उत्तराध्ययन सूत्र पर आधारित यह है जीवन जीने की कला सिखाती है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति \गिरीश चंदेल ने संपन्न बनो कृति पर समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा स्थितप्रज्ञता, कर्मवाद में विश्वास निष्काम कर्म, श्रद्धा की सुदढता आदि ऐसे अनेक सूत्र से आचार्य जी हमें संपन्न बनों की प्रेरणा देते हैं.
पंडित रविशंकर प्रसाद शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. श्री सच्चिदानंद शुक्ल ने विजयी बनो कृति पर अपने मंतव्य में कहा इस पुस्तक का कम से कम प्रतिदिन एक पृष्ठ अवश्य पड़े यह कृति जीवन में विजयी बनो की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए एक प्रकाश स्तंभ है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र संघ चालक डॉक्टर पूर्णेन्दु सक्सेना ने कहा आचार्य महाश्रमण ने इन तीन कृतियों से सुखी बनो, संपन्न बनो, विजय बनो आशीर्वाद दिया है. यह तीन आशीर्वाद हमारी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं.
मुनिश्री सुधाकर ने संगोष्ठी में विचार रखते हुए कहा आचार्य महाश्रमण महान साहित्यकार है. उनके साहित्य से जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है. युगीन समस्याओं का समाधान भी उनके साहित्य से प्राप्त होता है. उनके साहित्य में कृष्ण का माधुर्य, राम की मर्यादा, महावीर की साधना, कबीर की क्रांति, मीरा की भक्ति को देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि संभवतः यह पहला अवसर होगा कि किसी जैन आचार्य की साहित्य पर आधारित साहित्यिक समीक्षा संगोष्ठी में तीन ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालय का तत्वावधान एवं सहभागिता रही हो. संगोष्ठी की संयोजना में मुनिश्री सुधाकर की प्रेरणा और रमेश गांधी व अभिषेक गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. संचालन सूर्य प्रकाश बैद, मंगलाचरण हीरावत, स्वागत स्वर अध्यक्ष कनक चंद जैन और आभार मंत्री मनीष सिंघी ने किया.