इंडियन ओवरसीज बैंक की राजिम शाखा में करोड़ों रुपये के गोल्ड लोन घोटाले की आरोपी पकड़ी गई

ईओडब्ल्यू ने दो साल से फरार बैंक की पूर्व असिस्टेंट मैनेजर को गिरफ्तार किया है. ये मैनेजर इतनी शातिर थी कि उसने उन अकाउंट्स को अपना टारगेट बनाया जिसमें ज्यादा ट्रांजेक्शन नहीं होते थे या ऐसे अकाउंट्स जो कुछ महीनों से बंद पड़े थे. इस ठग ने 1 करोड़ 65 लाख रुपए से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है. इसके चालाकी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि वो पिछले 2 वर्षों से फरार चल रही थी और पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही थी. दरअसल, यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का है, जहां स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक की राजिम शाखा में करोड़ों रुपये के गोल्ड लोन घोटाले का खुलासा साल 2023 हुआ था. इस मामले में फरार आरोपी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बैंक की पूर्व सहायक प्रबंधक अंकिता पाणिग्रही को ओडिशा के बरगढ़ से गिरफ्तार किया है. आरोपी को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है.EOW द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, वर्ष 2022 में आरोपी अंकिता पाणिग्रही ने राजिम स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर रहते हुए हितग्राहियों के बंद खातों का इस्तेमाल कर फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए 1 करोड़ 65 लाख रुपये के गोल्ड लोन स्वीकृत किए. इन लोन की राशि सीधे बैंक से निकालकर गबन कर ली गई.

2023 में दर्ज हुआ था मामला

बैंक प्रबंधन द्वारा मामले की शिकायत मिलने पर EOW ने वर्ष 2023 में घोटाले की जांच शुरू की थी. जांच के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(क) (संशोधित 2018) और IPC की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत अपराध दर्ज किया गया.

हो सकते हैं और भी नाम उजागर

EOW की टीम फिलहाल आरोपी से गहन पूछताछ कर रही है. शुरुआती जांच में यह संकेत मिले हैं कि इस घोटाले में और भी बैंककर्मी या बाहरी लोग संलिप्त हो सकते हैं. अब EOW यह पता लगाने में जुटी है कि फर्जी लोन योजना को अंजाम देने में किन-किन की भूमिका रही.

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