Kolkata Doctor Rape Murder Case : कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या मामले में CBI ने नया खुलासा किया है. CBI को अब तक की जांच से पता चला है कि डॉक्टर के साथ गैंगरेप नहीं हुआ था. CBI के मुताबिक आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या में संजय रॉय नामक व्यक्ति की ही संलिप्तता है. 13 अगस्त को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी CBI को सौंपी गई थी.
फोरेंसिक रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि डॉक्टर का बलात्कार और हत्या संजय रॉय नामक व्यक्ति ने ही की थी. वह कोलकाता पुलिस से जुड़ा हुआ था. DNA रिपोर्ट ने भी उसकी संलिप्तता की पुष्टि की है.
संजय रॉय को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. इससे ठीक एक दिन पहले अस्पताल के सेमिनार हॉल में डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिला था. इसके अलावा CBI ने CCTV फुटेज की भी जांच की है, जिसमें उसे उस इमारत में प्रवेश करते हुए देखा गया है, जहां डॉक्टर की हत्या की गई थी.
आरोपी का घरेलू हिंसा का इतिहास रहा है. इसके बावजूद, उसकी अस्पताल के सभी विभागों में पहुंच थी. उसे क्राइम सीन से उसका ब्लूटूथ हेडसेट मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया.
CBI ने इस मामले में और लोगों की संलिप्तता पर अपनी जांच पूरी नहीं की है. एजेंसी द्वारा फोरेंसिक रिपोर्ट को स्वतंत्र विशेषज्ञों को उनकी अंतिम राय लेने के लिए भेजे जाने की संभावना है. इससे पहले, एक डॉक्टर ने दावा किया था कि पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया होगा. डॉ. सुवर्ण गोस्वामी ने इंडिया टुडे को बताया था कि प्रशिक्षु डॉक्टर को लगी चोटों की प्रकृति किसी एक व्यक्ति का काम नहीं हो सकती.
पीड़िता के माता-पिता ने भी कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क रखा जिसमें उसके शरीर में काफी मात्रा में वीर्य की मौजूदगी का आरोप लगाया गया, जो सामूहिक बलात्कार का संकेत देता है.
पुलिस अधिकारी के काम करने का तरीका सही नहीं- सुप्रीम कोर्ट
कोलकाता केस पर सुनवाई के दौरान जज ने पूछा कि पंचनामा कब हुआ? क्या सीबीआई से कोई अधिकारी आया है? सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि जॉइंट डायरेक्टर यहां आई हैं. इस पर जज ने पूछा कि मैम, क्या आप हमें समझा सकती हैं कि रिकॉर्ड में इतना अंतर क्यों है. सिब्बल ने दखल की कोशिश की. इस पर जज ने कहा कि आपकी पुलिस ने जो प्रक्रिया अपनाई, वह क्रिमिनल प्रोसीजर कोड से अलग है. मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसा नहीं देखा. आपके पुलिस अधिकारी के काम का तरीका बिल्कुल सही नहीं था. चीफ जस्टिस ने कहा कि डायरी एंट्री दिखाती है कि क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद संरक्षित किया गया.
FIR देरी से दर्ज होने पर उठा सवाल, सरकार को लगी फटकार
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि आप बताइए कि पोस्टमार्टम कब हुआ? इस पर सिब्बल ने कहा कि शाम 6.10 से 7.10 के बीच. जज ने कहा कि जब आप बॉडी उठा रहे थे, तब आपको पता था कि यह अननेचुरल डेथ है. फिर भी रात 11.45 में FIR हुई. यह हैरान करने वाली बात है कि FIR पोस्टमॉर्टम के बाद दर्ज हुई.
इस पर सिब्बल ने कहा मेरी जानकारी में अननेचुरल डेथ भी 1.45 दोपहर में दर्ज हुआ है. जस्टिस पारदीवाला ने सिब्बल से हा कि कृपया जिम्मेदारी से जवाब दीजिए. आपको सिर्फ अपने कागजात देख कर जवाब देना है. इतना समय लग रहा है. अगली तारीख में किसी जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को यहां मौजूद रहने कहिए, जो हमारे सवालों का जवाब दे सके.
जस्टिस पारदीवाला बोले- 30 सालों के करियर में ऐसा नहीं देखा
इस दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला ने यह भी कहा कि मैंने 30 सालों में ऐसी घटना नहीं देखी. उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस मामले में सही प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया.कोर्ट ने यह भी कहा कि जब सुबह के वक्त ही पता चल गया कि यह अप्राकृतिक जांच का मामला है तो फिर क्राइम सीन को चिह्नित करके घेराबंदी करने में देरी क्यों की गई. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसा नहीं है. पूरे क्राइम सीन की वीडियोग्राफी भी कराई गई थी.