ओह नो: विधायक सुशांत शुक्ला के वजूद पर आई बात, अटल बिहारी वाजपेयी विवि के दीक्षांत समारोह में नही मिली कुर्सी.

• फजीहत से बचने भीड़ के पीछे बैठे विधायक शुक्ला.


बिलासपुर. गुरुवार को अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के छठवें दीक्षांत समारोह में क्षेत्रीय विधायक सुशांत शुक्ला की घोर बेज्जती का

जो नाराज सामने आया उसकी चर्चा जोरो पर है हुआ यूं कि क्षेत्रीय विधायक को बैठने के लिए कुर्सी ही नहीं मिली पहले आए पहले पाए की तर्ज पर जिसे जो जगह मिली वो वहीं सेट हो गया। जिससे गुस्साए विधायक ने किसी से कुछ न कहने में ही अपनी भलाई समझी और चुपचाप पीछे जाकर बैठ गए।


इस घटना के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या क्षेत्रीय विधायक सुशांत शुक्ला का इतना भी वजूद नहीं और वह भी चंद मिनट कुर्सी के लिए रुक न सके,जबकि प्रोटोकॉल तो कुछ और ही कहता है।






एक नजर पूरे घटनाक्रम पर.


अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का छठवाँ दीक्षांत समारोह जहां देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि रहे और छात्रों को सम्मान मिला। वहीं कार्यक्रम के दौरान एक बड़ा प्रोटोकॉल विवाद भी सामने आया। समारोह में राज्यपाल रमन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री अरुण साव और उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा सहित मुख्य अतिथि मंच पर मौजूद थे। पूरा कार्यक्रम गरिमा के माहौल में शुरू हुआ, लेकिन कुछ ही मिनटों में विश्वविद्यालय प्रबंधन की बड़ी चूक ने माहौल बदल दिया।


क्षेत्रीय विधायक शुक्ला नहीं दिखे.


समारोह में विधायक दीर्घा सबसे सामने बनाई गई थी। इसमें विधायक अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, धर्मजीत सिंह, अटल श्रीवास्तव, दिलीप लहरिया और क्षेत्रीय विधायक सुशांत शुक्ला को बैठना था।


लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब क्षेत्रीय बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला अपनी निर्धारित दीर्घा में दिखाई ही नहीं दिए। बताया जा रहा है कि उनकी कुर्सी पर भारतीय जनता पार्टी और सरकार के पदाधिकारी पहले से बैठ चुके थे। इस कारण विधायकों की पंक्ति में जगह न मिलने पर सुशांत शुक्ला भीड़ में पीछे जाकर बैठ गए।


फजीहत: स्वागत भाषण में विधायक का नाम गायब.


कार्यक्रम की शुरुआत में कुलपति प्रो. इंदीवर बाजपेयी ने स्वागत भाषण दिया। यहीं से विवाद ने आकार लिया।कुलपति अपने भाषण में क्षेत्रीय विधायक सुशांत शुक्ला का नाम लेना भूल गए। यह भूल कुछ ही क्षणों में दर्शक दीर्घा तक पहुंच गई और असंतोष की फुसफुसाहट तेज हुई।


जैसे ही कुलपति को गलती का एहसास हुआ, एडीएम बाजपेयी ने माइक से घोषणा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में आता है और इसके विधायक सुशांत शुक्ला हैं, हम उनका आभार व्यक्त करते हैं। लेकिन तब तक मामला बिगड़ चुका था।


विधायक दीर्घा में ‘ओवरराइड’—पदाधिकारियों ने घेरा


जिस पंक्ति में सुशांत शुक्ला को बैठना था, वहां पर भाजपा और सरकार के शीर्ष पदाधिकारी पहले ही पहुंच गए थे।

भूपेन्द्र सवन्नी , मेयर पूजा विधानी, जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी, मंडल-आयोग के सदस्य वहां बैठे हुए थे।

इस अव्यवस्था के कारण सुशांत शुक्ला को पीछे बैठना पड़ा।


लोगों ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा—अटल विश्वविद्यालय में प्रबंधन की यह गड़बड़ी नई नहीं है। हर कार्यक्रम में विवाद पनप ही जाता है।”


स्मृति चिह्न के समय भी नहीं पहुंचे सुशांत.


कार्यक्रम के अंत में जब सभी विधायकों और जन-प्रतिनिधियों को पूर्व राष्ट्रपति से स्मृति चिह्न देने के लिए मंच पर बुलाया गया। तब सुशांत शुक्ला मंच पर नहीं पहुंचे।

इसके बाद यह चर्चा फैल गई कि सुशांत शुक्ला ने “अपमान” के कारण मंच पर जाने से इंकार कर दिया।


कनेंट नहीं हुआ विधायक शुक्ला का फोन लेकिन.


विधायक सुशांत शुक्ला की सरे आम हुई फजीहत की घटना को लेकर ' OMG NEWS NETWORK' ने उनका पक्ष जानने संपर्क किया लेकिन विधायक का फोन कनेक्ट नहीं हुआ। इससे पहले श्री शुक्ला ने मिडिया को जो बयान दिया था उसके अनुसार उन्होंने कहा कि

निर्धारित जगह पर  बैठने व्यवस्था नहीं थी। इसलिए भीड़ में पीछे बैठ गया।  स्मृति चिह्न वितरण के समय भी उसी कारण से मंच तक समय पर पहुंच नहीं सका। भीड़ में से वापस आगे आना अनुचित होता। इसलिए मैं वहीं बैठा रह गया। मेरा कोई विरोध नहीं था, व्यवस्था की वजह से मैं पहुंच नहीं पाया।


विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा.


अटल विवि प्रबंधन की तरफ से बताया गया कि स्वागत भाषण में क्षेत्रीय विधायक का नाम तकनीकी गलती के कारण छूट गया था। भाषण के तुरंत बाद कुलपति और एडीएम ने सार्वजनिक रूप से नाम लेकर सम्मान प्रकट किया। विधायक के प्रति विश्वविद्यालय की पूरी श्रद्धा और सम्मान है। बैठक व्यवस्था में भी किसी का अनादर करने का उद्देश्य नहीं था।


और ये भी, दीक्षांत की चमक पर आयोजन अव्यवस्था की छाया.


छात्रों के लिए ऐतिहासिक दिन रहा, लेकिन आयोजन की अव्यवस्था ने कार्यक्रम की गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगा दिया।

क्षेत्रीय विधायक का नाम न लिया जाना, सीटों पर संगठन पदाधिकारियों का कब्जा और अंत में स्मृति चिह्न वितरण से अनुपस्थिति—इन सभी बिंदुओं ने पूरे समारोह को गंभीर चर्चा का मुद्दा बना दिया है।





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