“रवि शुक्ला”
• बीजेपी में नए चेहरों की राजनीति में अब अफसरी भी पलने लगी.
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ की साय सरकार में सारे जूनियरो को मंत्रालय दे दिया है। सियासत में नए चेहरों के नाम पर सीनियरों के ऊपर हुकूमत का सोटा चलाया गया और अब अफसरों में भी जूनियरशिप हावी होने लगी है। इसका ताजा उदाहरण मयंक श्रीवास्तव आईपीएस (2006 बैच) को आयुक्त जनसंपर्क एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी संवाद से हटा कर रवि मित्तल आईएएस (2016 बैच) के अफसर को कुर्सी दी गई है। इससे सीनियर अफसर लामबंद होकर असहज महसूस कर रहे हैं।
वैसे चर्चा तो यह भी है कि सरकार ने अफसर नही एक तरह से अपना प्लान बदला है जो समय आने पर ही पता चलेगा,बहरहाल अभी 4 साल बीजेपी सरकार के बाकी है।
(मयंक श्रीवास्तव, आईपीएस)
सुनकर बड़ा अटपटा लगता है लेकिन यह सच है की राज्य की साय सरकार में अफसर शाही में वरिष्ठता में फासलों का दौर चल रहा है। वैसे नौकर शाहों का ट्रांसफर करना राज्य सरकार का विशेष एकाधिकार लेकिन सीनियरिटी को नजर अंदाज करने से अफसरों के खेमे में जरा मायूसियत सी छाई हुई है। जिस दिन बीते बुधवार को मुख्यमंत्री के अहम विभाग आयुक्त जनसंपर्क एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी की कुर्सी संभाल रहे मयंक श्रीवास्तव सीनियर आईपीएस को विदाई दी गई उस वक्त नवा रायपुर की संवाद बिल्डिंग में ‘OMG NEWS NETWORK’ के मौजूद होने के दौरान जो सच सामने आया वह यही था कि बीजेपी में नए चेहरों की राजनीति में अब अफसरी भी पलने लगी हैं। मानो संवाद बिल्डिंग खुद बयां कर रही हो कि काम के प्रति गंभीर, मिलनसार और कुछ ही महीनों में यानी साय सरकार के गठन के बाद जनसंपर्क विभाग को बखूबी संवारने का काम करने वाले आईपीएस श्रीवास्तव की रवानगी उनके साथ काम किए मातहतो को कितनी खल रही थी। कोई बोल कुछ न रहा था लेकिन आईपीएस श्रीवास्तव का फ्रेंडली अंदाज अब नहीं होने से सब मायूस नजर आए।
वैसे सरकार के आदेश का आईपीएस मयंक श्रीवास्तव भी ने पालन किया मगर उनका भी चेहरा बहुत कुछ बखान कर रहा था वो अजीब सी टीस भूलना शायद संभव नहीं होगा सवाल ये नही कि उनका तबादला कर दिया गया ऐसा बिल्कुल भी नहीं, लेकिन सीनियरिटी को इंपॉर्टेंस ना देना ही एक बड़ी वजह बनकर उभर रही है। माना कि कम उम्र में रवि मित्तल आईएएस ने अपनी जगह बनाई और भूपेश सरकार के समय से अब सीएम विष्णु देव साय के जिले जशपुर में बेहतरीन अफसरी की फिर बीजेपी सरकार आने के बाद भी उनके काम के बूते नई सरकार ने उन्हें कंटिन्यू किया फिर जशपुर से उठा कर सीधा राजधानी ले आए, अच्छी बात है ऐसे अफसर होने भी चाहिए।
(रवि मित्तल, आईएएस)
लेकिन सीएम के जनसंपर्क जैसे अहम विभाग में सीनियरिटी को दरकिनार करना अफसर खेमे को सुकून नहीं दे रहा है। आईपीएस श्रीवास्तव अनुभवी अफसर हैं तो वही इस मित्तल इनसे जूनियर फिर कैसे और क्या हुआ जो सरकार ने यह फैसला लिया। खैर इससे यह तो साफ तौर पर क्लियर हो रहा है कि सियासत में नए चेहरों के नाम पर सीनियरों के ऊपर हुकूमत का सोटा चलाया जा रहा है और अब अफसरों में भी जूनियरशिप हावी होने लगी हैं।
सरकार ने सीनियरिटी को किया नजर अंदाज.
बीते मंगलवार की रात राज्य सरकार ने दस आईएएस अधिकारियों समेत एक आईपीएस अफसर का ट्रांसफर आदेश निकाला था। जिसमें जनसंपर्क विभाग के चीफ की कुर्सी भी प्रभावित हुई। कुछ सीनियर तो कुछ जूनियर अफसरों में इस बात का मलाल है कि बाकी सब तो ठीक रहा लेकिन जनसंपर्क विभाग के चीफ की कुर्सी पर अगले अफसर को बिठाने सरकार ने सीनियरिटी का नजर अंदाज कर दिया। भले ही कम समय में आईएएस मित्तल ने सरकार के आईने में अपनी छवि एक काबिल अफसर के रूप में ही क्यों न बना ली हो और इसी बात की टीस आईपीएस श्रीवास्तव और उनके मातहतों के चेहरों के साथ खासकर सीनियर अफसरों को नागवार गुजर रही है।
आईपीएस का फंडा कांग्रेस सरकार का फिर साय सरकार ने किया कंटिन्यू.
वैसे देखा जाए तो जनसंपर्क विभाग के चीफ की कुर्सी पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम 2 साल सीनियर आईपीएस दीपांशु काबरा (एडीजी रैंक) को देकर बेहतर से बेहतर मिडिया मैनेजमेंट किया था। आईपीएस काबरा की गिनती भी काफी सुलझे और हर काम के ट्रिक को समझने वाले अफसरों में होती है। जिसे साय सरकार ने कंटिन्यू किया और प्रदेश की हुकूमत संभालते ही जनसंपर्क विभाग के चीफ की कुर्सी पर आईपीएस मयंक श्रीवास्तव को बिठा दिया। आईपीएस श्रीवास्तव के आयुक्त जनसंपर्क एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी संवाद का चार्ज लेने के बाद सब कुछ पटरी पर आने लगा था लेकिन फिर न जाने क्या हुआ और गृह विभाग में उनकी वापसी कर जनसंपर्क विभाग में भी जूनियरशिप का दौर शुरू किया गया।
कुछ इस तरह के अफसरों से चला आ रहा जनसंपर्क विभाग का कामकाज.
बताते हैं कि इससे पहले प्रमोटी अफसरों को जनसंपर्क विभाग का कामकाज सौंपा जाता था। जो कुछ समय तक चला और तत्कालीन रमन सरकार ने इसे बदलकर आयुक्त जनसंपर्क एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी संवाद की बागडोर डायरेक्ट आईएएस अफसर को देना शुरू कर दिया था। प्रदेश में 15 साल बाद आई कांग्रेस की भूपेश सरकार ने भी अपनी शुरुआत में पहले एक प्रमोटी आईएएस फिर डायरेक्ट आईएएस और अंतिम के 2 साल सीनियर आईपीएस काबरा को सीएम के महत्वपूर्ण विभाग जनसंपर्क का दारोमदार दिया था। लेकिन इस बीच अनुभव और खास कर सभी अफसर की सीनियरिटी का ध्यान रखा गया वही शायद यह पहला मौका होगा जब साय सरकार ने सीनियरिटी का फेस जूनियरशिप में चेंज कर दिया। वैसे चर्चा तो यह भी है कि सरकार ने अफसर नही अपना प्लान बदला है जो समय आने पर ही पता चलेगा।
और मयंक श्रीवास्तव की भावभीनी विदाई.
इधर बीते बुधवार की शाम जनसंपर्क संचालनालय और छत्तीसगढ़ संवाद के अधिकारी-कर्मचारियों ने आयुक्त और छत्तीसगढ़ संवाद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मयंक श्रीवास्तव को उनके स्थानांतरण पर शाम नवा रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ संवाद कार्यालय में भावभीनी विदाई दी।
विदाई समारोह में आयुक्त मयंक श्रीवास्तव ने कहा कि जनसंपर्क आयुक्त के रूप में उनका कार्यकाल यादगार रहा। जनसंपर्क संचालनालय और छत्तीसगढ़ संवाद के अधिकारियों ने मयंक श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में किए कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी।