नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजू ने काम में देरी पर जताई नाराजगी

रायपुर. नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. बसवराजू एस. ने आज मिशन अमृत 2.0 के कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने मंत्रालय में आयोजित समीक्षा बैठक में मिशन के कार्यों में देरी और लापरवाही पर नाराजगी जाहिर करते हुए अधिकारियों और एजेंसियों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने अधूरे कार्यों को बारिश से पहले पूरा करने के सख्त निर्देश दिए। लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। बैठक में मिशन अमृत 2.0 के नोडल अधिकारी, अभियंता, प्रोजेक्ट डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट कन्सल्टेंट्स एवं उनके डिप्टी टीम लीडर्स, असिस्टेंट कन्सट्रक्शन मैनेजर्स व चयनित निर्माण एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद थे। नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजू एस. ने राज्य शहरी विकास अभिकरण (SUDA) के अधिकारियों को मिशन अमृत 2.0 के कार्यों की नियमित समीक्षा करने, फील्ड में जाकर प्रगति व गुणवत्ता की जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने अगली समीक्षा बैठक में कार्यों की भौतिक प्रगति और समयबद्ध योजना की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने कहा।

प्रदेश के 36 नगरीय निकायों में चल रही पेयजल परियोजनाएं

उल्लेखनीय है कि मिशन अमृत 2.0 के तहत प्रदेश के 36 नगरीय निकायों में पेयजल परियोजनाएं चल रही है, जिनमें से 29 में कार्यादेश जारी हो चुके हैं। डॉ. बसवराजु ने सभी कार्यों को निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने के निर्देश देते हुए कहा कि मिशन के कार्य समय पर पूरे नहीं होने पर केंद्र सरकार से राशि नहीं मिलेगी, जिससे राज्य सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। मिशन अमृत 2.0 को मार्च-2026 तक पूरा करना है। यह केंद्र और राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। भारत सरकार और उप मुख्यमंत्री अरुण साव द्वारा इसकी प्रगति की नियमित समीक्षा की जा रही है। उन्होंने निर्माण एजेंसियों को मिशन के कार्यों में कुशल मानव संसाधन लगाने के साथ ही ड्राइंग-डिजाइन, सर्वे डॉटा और अन्य कार्य समय पर पूरे करने के निर्देश दिए।

कार्यों में उदासीनता बरतने वाले निकायों को चेतावनी

नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजू ने नगरीय निकायों को प्रत्येक स्वीकृत कार्य के लिए एक्शन प्लान तैयार करने और उसकी प्रगति की नियमित समीक्षा करने कहा। उन्होंने लगातार पत्राचार के बाद भी कार्यों में उदासीनता बरतने वाले नगरीय निकायों को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि जनवरी-2024 के बाद से परियोजना के लिए 300 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं और मार्च-2025 तक कोई भुगतान लंबित नहीं है। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर कार्य में देरी ठीक नहीं है। सुडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी शशांक पाण्डेय और उप महाप्रबंधक रमेश सिंह सहित अन्य अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे।

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