मासूम से दरिंदगी करने वाले अधेड़ को अदालत ने सुनाई 30 साल की सजा ,मिठाई का लालच देकर मासूम को बनाया था हवस का शिकार

दिल्ली में फिर मासूम से दरिंदगी करने वाले एक अधेड़ को अदालत ने 30 साल की कैद की सजा सुनाई है। साकेत कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी रामेश्वर को 30 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के तहत अपराध के लिए 10 वर्ष का साधारण कारावास और 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा अदालत ने पीड़िता को 10 लाख 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एफटीएससी) पॉक्सो अधिनियम शिवानी चौहान ने अपने फैसले में कहा कि अपराध की तारीख को दोषी की उम्र 50 साल थी, जबकि पीड़ित लड़की की उम्र महज 7 साल और 9 महीने थी। पीड़िता और दोषी की उम्र में काफी अंतर है। ऐसे में दोषी किसी भी नरमी का हकदार नहीं है



मिठाई का लालच देकर दरिंदगी

मामले में दोषी ने बच्ची को मिठाई का लालच देकर अपने घर बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया था। साथ ही, धमकी दी थी कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया, तो उसे जान से मार देगा। इससे पहले अदालत ने दोषी रामेश्वर को धारा 363 आईपीसी, धारा 366 आईपीसी, धारा 342 आईपीसी, धारा 506 आईपीसी और धारा 6 पॉक्सो अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया था। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि मौजूदा मामले में दोषी रामेश्वर ने 7 वर्ष और 9 महीने की पीड़िता को अगवा करने और उसे बंधक बनाने के बाद अपने घर में उसके साथ गंभीर यौन उत्पीड़न किया। उसने पीड़िता को इस घटना के बारे में किसी को न बताने की धमकी दी थी। अदालत ने कहा कि दोषी के कृत्य ने समाज में और पीड़ित के मन में चिंता पैदा कर दी है। न्याय के हित में सुधारात्मक सिद्धांत और दंड के निवारक सिद्धांत के बीच संतुलन बनाना होगा।


दोषी के कृत्य से समाज में दहशत फैल गई : अतिरिक्त लोक अभियोजक

सुनवाई के दौरान राज्य के लिए अतिरिक्त लोक अभियोजक ने प्रस्तुत किया कि दोषी के कृत्य से समाज में दहशत फैल गई है, क्योंकि दोषी ने आईपीसी की धारा 363, आईपीसी की धारा 366, आईपीसी की धारा 342, आईपीसी की धारा 506 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत अपराध किए हैं। ऐसे में उन्होंने अदालत से निवेदन किया कि दोषी को अधिकतम सजा दी जानी चाहिए और पीड़िता को अधिकतम मुआवजा प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि पीड़िता एक मासूम 07 वर्ष और 09 महीने की लड़की थी जबकि दोषी एक वयस्क सक्षम पुरुष था। पीड़िता एक बच्ची होने के कारण खुद को नहीं बचा सकी। दोषी की तरफ से उसका यौन उत्पीड़न किया गया। दूसरी ओर बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि दोषी की पत्नी का भरण-पोषण करना है। वह दो महीने पहले सीढ़ियों से गिरी थी और उसकी तबीयत खराब है। उन्होंने दलील दी कि दोषी की तबीयत ठीक नहीं है।



अपराध से पीड़िता को मानसिक आघात लगा : दिल्ली महिला आयोग

दिल्ली महिला आयोग की तरफ से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि पीड़िता के गुप्तांग पर शारीरिक चोट आई थी। पीड़िता के उपचार पर हुए चिकित्सा व्यय का कोई रिकॉर्ड नहीं है। अपराध के परिणामस्वरूप, पीड़िता को इतना मानसिक आघात लगा कि उसे अपने परिवार के साथ अपना घर बदलना पड़ा। पीड़िता के परिवार में उसके पिता और माता और दो भाई-बहन हैं। उसके पिता और माता दोनों ही मजदूरी करते हैं और 10,000 और 7,000 रुपये प्रति माह कमाते हैं। पीड़िता किराए के मकान में रहती है और उसका किराया 3,500 हजार रुपये प्रति माह है। पीड़िता समाज के निम्न आय वर्ग से ताल्लुक रखती है। पीड़िता अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहती है और उसे मौजूदा समय में कोई मुआवजा नहीं मिला है।








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