बिलासपुर. जिले के कुछ स्कूल के पर प्राचार्यों ने भाजपा सरकार को आइना दिखाते हुए शासन स्तर का काम अपने लेबल पर करके दिखाया है। वर्ष 2023 में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10वीं- 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्याकंन कार्य में लापरवाही के लिए परीक्षकों को तीन से पांच साल तक डीबार करने और एक साल की एक वर्ष की वार्षिक वेतन वृध्दि रोकने की सिफारिश शासन को की थी। वस्तुत: चूक कहां से हुई इसका निरीक्षण करने के बाद शासन इस पर कोई फैसला लेता इसके पहले ही जिले के प्राचार्यों ने व्याख्याताओं पर एक वर्ष की वार्षिक वेतन वृध्दि रोकने की कार्रवाई करते हुए उल्टे इसकी प्रतिलिपि डीईओ को भेजना शुरू किया है।
वर्ष 2023 में माध्यमिक शिक्षा मंडल द्बारा 10वीं- 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्याकंन स्कूलों के शिक्षकों को बुलाकर कराया गया था। इसके बाद जिन विद्यार्थियों के पुनर्मूल्यांकन में नंबर बढ़ना पाया गया। मंडल ने इसे परीक्षकों की लापरवाही माना और इसके लिए वर्ष 2024 में उच्चस्तरीय बैठक लेकर ऐसी लापरवाही के लिए तीन से पांच साल तक उन्हें मूल्यांकन कार्य से पृथक रहने और एक वर्ष की वार्षिक वेतन वृध्दि असंचयी प्रभाव से रोकने की सिफारिश शासन से की थी।
जानिए,होना यह था.
माध्यमिक शिक्षा मंडल की सिफारिश पर शासन यह परीक्षण कराता कि गड़बड़ी वास्तव में परीक्षकों द्बारा की गई है अथवा मंडल के द्बारा अंकों के टेबुलेशन में अथवा पुर्नमूल्यांकन कर्ताओं द्बारा की गई है। इसके बाद वह संचालक लोक शिक्षा को आदेशित करता कि प्रदेश भर के ऐसे हजारों शिक्षकों की वेतन वृध्दि रोकने की कार्रवाई की जाए। फिर डीपीआई के आदेश पर जिला शिक्षा अधिकारी प्राचार्यों को वेतन वृध्दि रोकने के लिए निर्देशित करते तब प्राचार्य डीडीओ की हैसियत से यह कार्रवाई करते, तब वह विधि सम्मत माना जाता। कांग्रेस शासनकाल में गहरी जड़े जमाए ऐसे प्राचार्यों ने भाजपा की सरकार को आईना दिखाया कि शासन सुस्त और प्राचार्य चुस्त हैं।
डीईओ से नहीं हुआ संपर्क.
इस मामले को लेकर ‘OMG NEWS NETWORK’ ने जिला शिक्षा अधिकारी टी आर साहू से विभाग में चल रही मनमानी की हकीकत जानने उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया लेकिन डीईओ साहू ने अपना फोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा।