इमलीपारा व्यापारियो की गुहार: बसाने से पहले ही उजाड़ दिया, हाईकोर्ट के निर्देश की भी अनदेखी, अब आर्थिक संकट से कैसे लड़े.

बिलासपुर. शहर की सब से पुरानी सड़क इमलीपारा रोड़ की करीब 86 दुकानें जिला प्रशासन के द्वारा ढहाए जाने के बाद व्यापारियो के सामने अब आर्थिक संकट पैदा हो गया है जबकि हाईकोर्ट ने 15 दिन के भीतर इन दुकानदारों की वैकल्पिक व्यवस्था करने के बाद ही कारवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी न जाने क्यों किस राजनैतिग दबाव में आकर निगम अमले ने एक एक कर 86 दुकानों पर बुलडोजर चला दिया।

मुख्यत: आर्थिक संकट और निगम के अव्यवस्था पूर्ण व्यवहार को लेकर शनिवार को इमलीपारा ओल्ड बस स्टैंड के व्यापारियों ने एक बैठक कर चर्चा की. मालूम हो कि इमलीपारा पुराने बस स्टैंड से जोड़ने वाली सड़क को चौड़ा करने 86 दुकान और एक बैंक को तोड़ा गया है। प्रभावित दुकानदारों ने शनिवार को बैठक आयोजित कर नगर निगम प्रशासन से हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्य करने अपील की। दरअसल दुकानदारों का कहना है कि हाई कोर्ट ने जिन बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं उसका पालन शब्दशः किया जाए।

आर्थिक तंगी आई सामने.

इमलीपारा रोड़ से हटाए गए 86 दुकानदारों के सामने अब आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है। दुकानदारों का कहना है कि यहां चार पीढ़ियों से अभी दुकानदारी कर रहे थे। जो दुकान नगर निगम के द्वारा तोड़ दी गई है उस पर उन्होंने लोन लेकर रखा है यहां से हटाए गए करीब 86 दुकानदारों के ऊपर करीब 14 करोड रुपए का बैंक कर्ज है । जो इन्हीं दुकानों के दस्तावेजों को रखकर बैंक से लिया गया है शनिवार को प्रभावित दुकानदारों ने बैठक आयोजित कर हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों के आधार पर कार्रवाई करने नगर निगम प्रशासन से अपील की। प्रभावित दुकानदारों का कहना है कि अभी तय नहीं हो पाया है कि उन्हें दुकान किस स्थान पर मिलेगी,और जिस स्थान पर उन्हें जाने के लिए कहा जा रहा है वह पहले से ही विवादित स्थान है।

उग्र आंदोलन की चेतवानी.

दुकानदारों का कहना है कि अगर नगर निगम प्रशासन उनकी दुकानों को लेकर कोई बात स्पष्ट नहीं करता है तो आचार संहिता के बाद उग्र आंदोलन किया जाएगा। तोड़फोड़ की कार्रवाई के बाद दुकानदारों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया है जिसको लेकर सभी चिंतित है।

निगम प्रशासन भरवा रहा हामी.

दुकानदारों ने बताया कि अपनी गलती छुपाने जिला प्रशासन एक शपथ पत्र देकर हमारी सहमति लेना चाह रहा है जबकि ऐसा कुछ नहीं है।

इससे साफ जाहिर होता है कि हाईकोर्ट के निर्देश का पालन नही किया गया और जिला प्रशासन खुद को बचाने दुकानदारों से सहमति पत्र पर मोहर लगाने दबाव बना रहा है लेकिन कोई दुकानदार अपनी सहमति नहीं देगा।

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