बिलासपुर. विगत दिनों मे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किए गए फैसले पर छत्तीसगढ़ राज्य के समर्पित संस्था के अध्यक्ष डॉ. संदीप शर्मा ने अपनी त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी यानी बच्चों के अश्लील वीडियो डाउनलोड करने उन्हें देखना या किसी से साझा करने को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम और सूचना तकनीक कानून के तहत अपराध करार देना स्वागत योग्य निर्णय है।
डॉ. संदीप शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बाल अधिकारों के लिए काम कर रहे देश के 400 से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एयरलाइंस (जीआरसीए) की याचिका पर आया। शीर्ष अदालत ने जेआरसीए की याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया। जिसने कहा था कि इस तरह की सामग्रियों को डाउनलोड करना और देखना दंडनीय अपराध नहीं है, यह सिर्फ नैतिक पतन है।
शीर्ष अदालत के इस ऐतिहासिक फैसले पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए याची और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलाइंस के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा भारत ने दुनिया भर में फैले और संगठित अपराधों की रोकथाम और उससे बच्चों की सुरक्षा के लिए एक बार फिर दुनिया को रास्ता दिखाते हुए एक विस्तृत रूप रेखा की आधारशीला रखी है यह एक दूरगामी फैसला है जिसका असर पूरी दुनिया में होगा संगठित अपराधों और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के मामले में यह फैसला इतिहास में अमिट रहेगा जब भी कोई व्यक्ति बच्चों के अश्लील वीडियो या उनके यौन शोषण की सामग्रियों की तलाश करता है या उन्हें डाउनलोड करता है तो वह वस्तुतरु बच्चों से बलात्कार की मांग को बढ़ावा दे रहा होता है यह निर्णय बाल पोर्नोग्राफी से जुड़ी हमारी उसे पारंपरिक समझ को भी तोड़ता है जो इसे वयस्कों के मनोरंजन के तौर पर देखती है इस आदेश के बाद लोग बच्चों की और शोषण और इससे जुड़ी सामग्रियों को एक अपराध के तौर पर देखना शुरू करेंगे।