• एस कुमार मनहर, चांदनी भारद्वाज, विज्ञान कांत, पृथ्वी पाल राय, रामनारायण भारद्वाज न्यू विधानसभा चुनाव में ठोकी ताल.
बिलासपुर. मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए निराशाजनक रहे। पिछले विधानसभा चुनाव में विधायक की दावेदारी करने वाले कई प्रमुख नेता इस बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने उतरे, लेकिन आपसी गुटबाजी के चलते 5 सीटों में से भाजपा को दो सीट छोड़कर बाकी सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
क्षेत्र क्रमांक 12 में कांग्रेस की जीत.
जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 12 से विधानसभा की दावेदारी करने वाले धर्मदास भार्गव, राजेश्वर भार्गव (भाजपा) पृथ्वी पाल राय (भाजपा) एस कुमार मनहर (भाजपा) सहित कांग्रेस और भाजपा के 17 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई। लेकिन, भाजपा के अंदरूनी गुटबाजी के कारण यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई।
क्षेत्र क्रमांक 13 में निर्दलीय ने मारी बाजी.
क्षेत्र क्रमांक 13 में चांदनी भारद्वाज, विधानसभा की दावेदार रामकुमारी विज्ञानकांत, सरोजनी और रामनारायण भारद्वाज विधानसभा के दावेदार सहित 12 प्रत्याशी मैदान में थे। यहां भी भाजपा के अंदरूनी कलह के चलते निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की।
क्षेत्र क्रमांक 10 में भाजपा को झेलनी पड़ी हार.
क्षेत्र क्रमांक 10 में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी नूरी दिलेन्द्र कौशल के खिलाफ पार्टी की ही नंदिनी पवन साहू ने बगावत कर दी। यहां 9 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन अंततः भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी के कुछ नेताओं ने जयचंद की भूमिका निभाई, जिससे पार्टी की हार तय हो गई।
क्षेत्र क्रमांक 11 में भाजपा की जीत.
इधर, क्षेत्र क्रमांक 11 से विधानसभा के दावेदार रहे चंद्र प्रकाश सूर्या की पत्नी अरुना चंद्र प्रकाश सूर्य ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को मात देकर भाजपा के लिए जीत सुनिश्चित की। यहां कुल 5 प्रत्याशी मैदान में थे। यदि यहां भी दावेदार अधिक होते तो मुकाबला कठिन हो सकता था
क्षेत्र क्रमांक 14 में भाजपा ने बचाई साख.
क्षेत्र क्रमांक 14 से भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी राधा खिलावन पटेल ने जीत दर्ज कर पार्टी की साख बचाई। यहां केवल 4 प्रत्याशी मैदान में थे। जो भाजपा के लिए संजीवनी साबित हुई
इस चुनाव में भाजपा के अंदरूनी गुटबाजी ने पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया, जबकि कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशियों ने इसका पूरा फायदा उठाया।
चुनाव हारने के बाद एक दूसरे पर लगाते रहे भीतर घात का आरोप.
बता दें कि विधानसभा की दावेदारी करने वाले भाजपा के सभी दिग्गज जब चुनाव में पराजित हो गए तो उन्होंने अपनी हार का ठीकरा पूर्व विधायक के सर फोड़ दिया और आरोप लगाया कि पूर्व विधायक ने उन्हें भीतर घात करके हराया है।
जबकि पूर्व विधायक पूरे चुनाव में अपने प्रत्याशियों को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते रहे मस्तूरी में कुछ सीटों को पार्टी ने अधिकृत भी नहीं किया ताकि किसी भी प्रकार के तनाव से बचा जा सके इसके बावजूद आपसे गुट बाजी जिला पंचायत के प्रत्याशियों को भारी पड़ी और पार्टी को क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ा।
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