संविधान प्रजा को नागरिक बनाने की कवायद: प्रो आरिफ.

• भारतीय संविधान में अंतर्निहित मूल्य” पर बिलासपुर प्रेस क्लब मे हुआ व्याख्यान.

बिलासपुर. प्रेस क्लब और पार्क फाउंडेशन छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय संविधान में अंतर्निहित मूल्य विषय पर व्याख्यान हुआ। इस मौके पर वक्ता के तौर पर उपस्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर मोहम्मद आरिफ ने कहा कि संविधान प्रजा को नागरिक बनाने की कवायद है। उन्होंने व्यक्ति से लेकर संसद और समाज से न्यायपालिका तक भारतीय संविधान के मूल्यों का जिक्र किया, जिसकी बुनियाद पर सब टिका है।

प्रेस क्लब में रविवार को व्याख्यान के दौरान प्रो मो. आरिफ ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण में खासा समय लगा क्योंकि इसमें जन को ताकत देने, धर्म समेत शेष को स्थिर रखने पर लम्बी बहस हुई। उन्होंने व्यक्ति से लेकर संसद और समाज से न्यायपालिका तक समाहित भारतीय संविधान के मूल्यों का जिक्र किया। प्रो. आरिफ ने कहा कि संविधान में मुख्यतः स्वतंत्रता, समानता और बंधुतत्त्व की भावना को निहित किया गया है। तत्कालीन राजनेताओं, विशेषज्ञ, विद्वानों ने मिलकर भारत के निवासियों के लिए समता का प्रावधान किया। यह गरिमापूर्ण जीवन शासक और शोषक का भाव खत्म करता है। उन्होंने कहा कि संविधान के अंतर्निहित मूल्यों में शामिल बंधुतत्त्व देश में पहले से मौजूद था, जो कि हमें आजादी दिलाने वाले कारकों में सबसे महत्वपूर्ण रहा।

व्याख्यान के दौरान उन्होंने वर्तमान में सुनाई देने वाले कटुता वैचारिक मतभेद और लोकतंत्र की अनदेखी के किस्सों को तर्क से परे करार दिया। प्रो आरिफ के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, कानून मंत्री बाबा साहब आम्बेडकर, महात्मा गांधी व संविधान सभा में शामिल सभी लोगों ने संविधान निर्माण से लेकर उसे लागू कर, अंगीकार करने तक दूर दृष्टि रखी। हालांकि प्रो आरिफ ने यह भी कहा की संप्रभु राष्ट्र निर्माण के बाद के वर्षों मे संविधान में प्रदत्त नागरिक अधिकार और प्रावधानों के आगे निजी स्वार्थ और विशेषकर सत्ता भोगी आड़े आया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता को किसी भी स्थिति में बचाना होगा। यदि इसमें बाधा है, तो उसके लिए संविधान में कानून की शक्ति और किसी के अधीन या दबाव से दूर न्याय पालिका है। यही अंतर्निहित मूल्य भारत के संविधान को सबसे अलग और मजबूत बनाता है। कार्यक्रम का संचालन बिलासपुर प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष प्रतीक वासनिक ने किया। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार नथमल शर्मा ने कहा कि हमें यह भी सोचना होगा कि यह नौबत भी क्यों सामने आई है कि हमें संविधान पर बात करनी पड़ रही है।

इस अवसर पर प्रेस क्लब के सहसचिव दिलीप जगवानी, कमलेश शर्मा, जीवेश चौबे, उमा प्रकाश ओझा, नंद कश्यप, कपूर वासनिक, अधिवक्ता शौकत अली, अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला, सत्यभामा अवस्थी, राजेंद्र गायकवाड़, महेश श्रीवास, कालीचरण यादव, रवि बनर्जी, मंसूर खान, विनोद दुआ, राकेश शर्मा आदि उपस्थित थे।

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